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पदयात्रा प्रतिदिन

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पदयात्रा प्रतिदिन

बाबा का भजन

5:44

पदयात्रा प्रतिदिन – आपकी आस्था, हमारा संकल्प

"एक संकल्प, अनगिनत पुण्य – जब आप नहीं चल सकते, हम आपकी आस्था को आगे बढ़ाते हैं।"

“यानी कानी च पापानि जन्म जन्मांतर कृतानि च। तानी सर्वाणि नश्चयंतू प्रदक्षिणाम पदे पदे।।“

अर्थ: -"जो पाप हमने इस जन्म और अनगिनत पूर्व जन्मों में किए हैं, वे सब पदयात्रा के हर कदम के साथ नष्ट हो जाएँ।"

सनातन धर्म में पदयात्रा को केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि मानसिक, आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धि का साधन माना गया है। यह हमारे पापों का क्षय करती है, पुण्य अर्जित करवाती है और भगवान के प्रति हमारी भक्ति को और गहरा करती है।

लेकिन कई भक्त तीर्थ यात्रा करना चाहते हुए भी व्यवसाय, नौकरी, पारिवारिक जिम्मेदारियों, शारीरिक अक्षमता, दूरी या समय की कमी के कारण स्वयं यह नहीं कर पाते।

'ओम संकल्प' की अनूठी पहल – पदयात्रा प्रतिदिन सेवा के माध्यम से हम उन भक्तों के संकल्प को पूर्ण करने के लिए उनके स्थान पर एक ब्राह्मण को प्रतिदिन पदयात्रा करवाते हैं।

जन्म

किसी भी बालक या बालिका के उज्ज्वल भविष्य व अच्छी सेहत की कामना रखते हुए उनके नाम से संकल्प पदयात्रा करवाई जानी चाहिए।

परण

नव विवाहित दम्पत्ति के सुखी वैवाहिक जीवन के लिए दोनों के नाम से एक जोड़े को संकल्पित कर पदयात्रा का विशेष महत्व है।

मरण

मरणोपरांत दिवंगत आत्मा के निमित उनके परिवारजन या पुत्र- बांधवो द्वारा संकल्प पद्धति से पदयात्रा का अपना अलग ही महत्व है।

service

शुरुआत

रिंगस से खाटू श्याम जी तक प्रतिदिन पदयात्रा

हम 'पदयात्रा प्रतिदिन' सेवा की शुरुआत रिंगस से खाटू श्याम जी तक प्रतिदिन पदयात्रा के रूप में कर रहे हैं। खाटू श्याम जी की यात्रा हर भक्त की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन कई भक्त स्वयं यह यात्रा करने में असमर्थ होते हैं।

अब, जो भक्त स्वयं यात्रा नहीं कर सकते, वे हमारे माध्यम से अपने संकल्प को पूरा कर सकते हैं। आपके संकल्प से हमारे ब्राह्मण रिंगस से खाटू श्याम जी तक प्रतिदिन पदयात्रा करेंगे और आपके नाम से धार्मिक सेवा और दान भी करेंगे।

आध्यात्मिक लाभ – इस पदयात्रा में संकल्प लेने से क्या मिलेगा?

1. पापों का क्षय और पुण्य की प्राप्ति:-

जो भी भक्त इस सेवा में संकल्प लेते हैं, उनके नाम से तीर्थयात्रा और दान होने के कारण उनकी आत्मा को शुद्धि और मोक्ष का मार्ग मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति स्वयं तीर्थ नहीं जा सकता, वह किसी को भेजकर भी उतना ही पुण्य अर्जित करता है।

2. संकल्प से शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा:-

जब किसी भक्त का नाम लेकर ब्राह्मण प्रतिदिन भगवान के धाम की यात्रा करता है, तो यह उस व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और मानसिक शांति का संचार होता है।

3. पितरों को लाभ और कुल की उन्नति:-

शास्त्रों में वर्णित है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों के नाम से तीर्थ सेवा करता है, तो उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसका कुल सात पीढ़ियों तक समृद्ध होता है।

4. संकल्प से जुड़े दान और सेवा का पुण्य:-

इस पदयात्रा में संकल्प लेने वाले भक्तों के नाम से नियमित रूप से दान और सेवा की जाएगी:-

  • • गाय को चारा – गौ सेवा से जीवन में समृद्धि
  • • चींटियों को नगरा – पापों का क्षय
  • • कबूतरों को दाना – मन की शांति और प्रेम की वृद्धि
  • • पक्षियों को जल – मानसिक शांति और आशीर्वाद
  • • कुत्तों को भोजन – संकटों से मुक्ति
  • • ब्राह्मणों को दान – कुल की उन्नति और आध्यात्मिक प्रगति
  • • मंदिरों में ध्वज और प्रसाद चढ़ाना – ईश्वर की कृपा और इच्छाओं की पूर्ति
5. भाग्य, कर्म और शुभ फलों की प्राप्ति

जो व्यक्ति इस सेवा में संकल्प लेता है, उसके भाग्य में सकारात्मक परिवर्तन आता है, जीवन में अड़चनें दूर होती हैं और उसे दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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कैसे जुड़ें?

▶ इस सेवा में भाग लेने के लिए भक्तों को मासिक संकल्प राशि देनी होगी।

▶ संकल्पित ब्राह्मण की प्रतिदिन की यात्रा, सेवा और दान की लाइव लोकेशन, यूट्यूब लाइव स्ट्रीम, तथा फोटो और वीडियो अपडेट्स उपलब्ध कराए जाएंगे।

▶ जब आप स्वयं नहीं चल सकते, तो भी आपकी आस्था आगे बढ़ सकती है!आइए, संकल्प लें और अपने लिए अनंत पुण्य, आशीर्वाद और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलें।

▶ हमारी वेबसाइट, मेल, व्हाट्सएप्प या कॉल के द्वारा हमे चयनित सेवा के बारे में विस्तार से बताये।

▶ हमारे प्रतिनिधि द्वारा आपको शीघ्र ही सेवा शुल्क बता दिया जाएगा।

▶ हमारे ब्राह्मण जन द्वारा आपको शुभ मुहूर्त के समय बता दिए जाएंगे।आपके द्वारा चयनित शुभ मुहूर्त पर ब्राह्मण द्वारा आपको फोन पर या प्रत्यक्ष संकल्प दिलवाया जाएगा। (संकल्प के समय 2 सुपारी या लांग का जोड़ा, रोली/थोड़े चांवल या थोड़े पुष्प या 1 नारियल व शुद्ध जल साथ रखें)

▶ यदि आप भारत में हैं और अगर संभव हो तो संकल्पित नारियल या पुष्प/सुपारी को कोरियर द्वारा हमें भेज दें। यदि आप भारत से बाहर हैं और कोरियर सम्भव नही है तो संकल्पित शुल्क हमें ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें।

▶ हम आपके द्वारा चयन की गई सेवा के लिए संकल्पित नियुक्त कर उसे प्रत्यक्ष रुप से आप से जोड़ देंगे।

▶ संकल्प सेवा के प्रारंभ से अंत तक संकल्पित व्यक्ति को फ़ोन व जीपीएस के द्वारा आपसे कनेक्ट रखा जाएगा।

▶ सेवा के प्रारंभ से अंत तक संकल्पित व्यक्ति आपको अपनी लाइव लोकेशन, करंट लोकेशन (दिन में 5 बार) व स्थान की तस्वीरें ( दिन में 5, या चाहे गए स्थान की) देते रहेंगे।

▶ सेवा के समापन होने पर उसकी सूचना व साक्ष्य आपको दिए जाएंगे।

▶ चढ़ाया गया प्रशाद तथा ओम संकल्प निशान आपको भेजा जायेगा।

"पदयात्रा प्रतिदिन – आपकी आस्था, हमारी सेवा!"
1. शास्त्रों में पदयात्रा का महत्व

पदयात्रा सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक साधना मानी गई है। यह केवल एक शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक शुद्धि का साधन भी है। विभिन्न ग्रंथों में तीर्थयात्रा और पदयात्रा के लाभों का विस्तार से उल्लेख मिलता है।

(क) वेदों और उपनिषदों में उल्लेख

ऋग्वेद (10.33.1) में कहा गया है:

"यत्र नार्यः पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।"

अर्थ: जहाँ श्रद्धा और भक्ति से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, वहाँ देवताओं की कृपा बनी रहती है।
पदयात्रा एक भक्ति मार्ग है, जिसमें व्यक्ति शरीर और मन दोनों से तप करता है।


छांदोग्य उपनिषद (8.5.4):

"तपोऽपि तप्येत, यत्र यत्र ध्यानं तत्सर्वं पवित्रं भवति।"

अर्थ: तपस्या और ध्यान जहाँ भी किए जाते हैं, वे पवित्रता प्रदान करते हैं।
पदयात्रा को तपस्या के समान माना गया है, क्योंकि यह आत्मसंयम, शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।


(ख) महाभारत में पदयात्रा का उल्लेख

महाभारत (वनपर्व, अध्याय 82, श्लोक 8-9)

"पद्भिः तीर्थानि गन्तव्यं स्नात्वा धर्मफलप्रदम्। दर्शनात् पापसंहारं तीर्थयात्रा कृता भवेत्॥"

अर्थ: तीर्थों की पदयात्रा करने से पुण्य प्राप्त होता है, स्नान करने से धर्म की सिद्धि होती है और तीर्थ स्थानों के दर्शन से पापों का नाश होता है।

महाभारत (अनुशासन पर्व, 106.28)

"पुण्यानि तीर्थानि समाससाद्य, भुक्त्वा च तेषां फलमद्भुतानि।"

अर्थ: तीर्थों की यात्रा करने और वहाँ पर साधना करने से असाधारण पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

(ग) गरुड़ पुराण में तीर्थ यात्रा और पदयात्रा

गरुड़ पुराण (पूर्व खंड, अध्याय 106, श्लोक 7-8)

"गङ्गादि तीर्थेषु पदयात्रा कृत्वा, सर्वपापं विनश्यति।"

अर्थ: गंगा और अन्य तीर्थों की पदयात्रा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

महाभारत (अनुशासन पर्व, 106.28)

"पुण्यानि तीर्थानि समाससाद्य, भुक्त्वा च तेषां फलमद्भुतानि।"

अर्थ: तीर्थों की यात्रा करने और वहाँ पर साधना करने से असाधारण पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

(घ) स्कंद पुराण में पदयात्रा का महात्म्य

स्कंद पुराण (काशी खंड, अध्याय 26, श्लोक 32)

"यः पद्भिः काशिं याति स सर्वपापविमुक्तः।"

अर्थ: जो व्यक्ति पैदल काशी की यात्रा करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

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